भोपाल
शहर का एक प्रमुख अख़बार राज एक्सप्रेस जो कई पाठकों की पसंद बना हुआ है। जो अपने कहने के तरीके की वजह से भी जाना जाता है इन दिनों मुझे शहर के एक बड़े चौराहे पर उसका बड़ा सा होर्डिंग देखने को मिला जो शायद लगा तो काफी पहले था मगर शायद अब किसी ने उस इलाके से पेड़ पौधे कट दिए तो पुरा नजर आने लगा है यानि किअब उसे भी शायद आड़ से रहना नागवारा गुजर रहा है।
होर्डिंग की लाइने भी बड़ी इन्टर्रेस्टेड थी राज एक्सप्रेस रंग एक मध्यम अनेक, सच कहने का साहस और सलीका। भाई अपने को तो ये आइडिया सॉलिड लगा। आपका क्या खयाल है। रंग बदलती दुनिया में कब कौन रंग बदल दें फ़िर भी जरा सब्र करने की जरुरत है आगे आगे देखिये होता है क्या?
मेरे कहने का मतलब साफ है कि राजस्थान पत्रिका के भोपाल में आने कि आहात से भास्कर ने तो ब्लेक एंड व्हाइट रंगों से पीछा छुड़ाते हुए अपने सभी पेजेस को रंगीन कर दिया है अब राज एक्सप्रेस कोनसा रंग अख्तियार करता है देखने वाला होगा।
सो डियर किसी ने कहा भी है वेइट एंड वॉच ................... ।
Tuesday, May 20, 2008
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