Wednesday, June 4, 2008

हिन्दुस्तान की हलचल के मायने क्या है ?


नई दिल्ली से निकलने वाले हिन्दी के समाचार पत्र के पन्नों पर होने वाली हलचलों से किसी
नई उठापटक का संकेत मिल रहा है।
जून के माह के आरंभ के साथ ही हिंदुस्तान का रंग बदलने में किसी नए बदलाव की आहट है दो जून को हिन्दी हिंदुस्तान के पहले पन्ने पर पुरा एक होम एड है शायद ये पहले से मिला हुआ था आई पी एल के समाप्त होने की खुशी में ।
फूल पेज के एड में नया हिन्दुस्तान झूम रहा है
हिंदुस्तान की नई धुन पर ..... .

लिखा गया है अब आप भी झुमिये हिंदुस्तान की नई धुन पर
नया हिन्दुस्तान
अब हिन्दुस्तान की बारी है. क्या तैयारी पुरी है
इसी प्रकार हिन्दुस्तान का दूसरा पेज भी इसी तरह के सपने को समर्पित है यहाँ पर न्यूज़ के नाम पर खुछ भी नहीं है छोटे शहरों की दो बड़ी प्रतिभाएं सफलता के शिखर पर
छोटे छोटे शहरों से ये कैसा तूफ़ान उठा हर दिल में एक लौ जली. . . . . . . . .
यहाँ सीमा झा, रोहीत सागर और कवीता प्रसाद नामक पात्रों से दो हजार अठारह से लेकर ट्वेन्टी ट्वेन्टी तक के भारत के विकसीत बनने के सपने को केन्द्र बनाया गया है।
इसी पृष्ट पर हिन्दुस्तान के संपादक मृणाल पाण्डेय के सफर को पेश किया गया है महत्वाकांक्षी और हंसमुख भारत को हिन्दुस्तान का सलाम इसी पाकर यहाँ पर ही छोटे छोटे शहर ही साकार करेंगे भारत के सपने लेख के जरिये ओगिल्वी इंडिया एंड साऊथ एशिया के चेयरमेन पीयूष पाण्डेय का मत पेश किया है।
इन सभी नवाचारों से युक्त समाचारों की प्रासंगिकता क्या है ? क्या ये इस पत्र की किसी नई महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है? जैसे कयास मीडिया मार्केट में लगाये जा रहे है उनमे तो हिन्दुस्तान के हिन्दुस्तान में अपने दायरा बढ़ने के इशारे हो रहे है।

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