Saturday, May 31, 2008

थर्टी मिनिट पिज्जा स्टाइल में, मिल सकता है न्यूज़ पेपर


भोपाल
भोपाल शहर का मौसम इन दिनों काफी तेज बना हुआ है एक तरफ़ जहाँ भौतिक रूप कि बात करें तो नवतपामें जम कर धुप पड़ रही है तो कभी बरसात से मौसम में शीतलता धुल रही है। जिस तरह से यहाँ पर प्रकृति को समझना आम आदमी के लिए दूभर है उतना ही मुश्किल है आम नागरिक के लिए दूसरी तरफ़ मीडिया महकमें में होने वाली हलचलें भी।
जैसे पल पल में मौसम बदला जाता है उसी प्रकार मीडिया के मौसम का भी कुछ नहीं कहा जा सकता है यहाँ भी असंभावनाये लगभग उतनी है। यहाँ का मौसम कभी भी बदल सकता है यहाँ का मिजाज़ भी कभी भी पलट सकता है।
इस क्षेत्र में नए प्रतिद्वन्धियों के आने से पाठकों को मनाने के नए नए तरीके इजाद किए जा रहे है। मान-मनुहार उपहार और गिफ्ट हेम्पर पता नहीं क्या-क्या किया जाने लगा है। नये ग्राहक बनने के साथ-साथ पुरानो को बांधे रखने के लिए कई महत्वकांक्षी परियोंजनाओ पर विकास कार्य द्रुत गति से जारी है। कभी अपने पाठकों को वार- त्यौहार पूछने वाले भी लग गए है पाठकों को मनाने में। यहाँ हम सभी लोगों को समझ लेने चाहिए जो झूठ मूठ में अक्सर हर घटिया और बिकाऊ और किफायती फायदेमंद समाचार के लिए इस तकिया कलाम का बखूबी प्रयोग करते है कि हम तो वाही छाप रहे है जो पाठक पढता है क्योकि कोई अखबर पाठक उसी कीमत पर छोड़ता है जब उसे अपने पसंद का समाचार नहीं मिलता है और उसे समझौता करना पड़ता है अगर मानाकि कोई पाठक जग जाए तो ये वह मौका है जब अखबार की नब्ज लिखने वाले के पास नहीं बल्कि उसके पाठक के हाथ में होती है। यह दशा अर्थशास्त्र के उस सिद्धांत को बताता है कि वर्तमान हालत में उपभोक्ता बिना मुकुट का बादशाह होता है।
अभी यहाँ पाठक बादशाह है उसका एक निर्णय आपकी इज्जत, आपकी नाक यानि आपके सर्कुलेसन को जमीन पर ला सकता है। इसके लिए इन दिनों भोपाल में भी इस तरह के प्रयत्न चल रहे है । खासकर प्रसार को लेकर ।
पत्रिका का कहना है कि अखबार की प्रति प्राप्त करने के लिए अपने हाकर से सम्पर्क करें अगर प्रति प्राप्त नही होती है तो डायल करें ............... ।

कुछ इसी ले में राज एक्सप्रेस अन्दर के पृष्ट पर विज्ञापन लगता है जिसमे वह पाठकों को संबोधित करता है सुधि पाठकों से अनुरोध है कि राज एक्सप्रेस कि प्रति प्राप्त करने में अगर आपको असुविधा हो या इसके स्थान पर कोई अन्य अखबार दिया जा रहा हो तो नीचे लिखे नंबरों पर सम्पर्क कि कृपा करें। इसके अतिरिक्त आपके सुझाव भी आमंत्रित है और इसके बाद, शहर के इक्कीस स्थानों पर के वितरकों के नंबर दिए गए है यह विज्ञापन प्रसार विभाग का है।


इस दौड़ में दुसरे खिलाड़ी भी जरा से भी पीछे नहीं है सभी इस तरह के निवेदन, आमंत्रण और विज्ञापन छपते है और अपनी प्रेमिका को मनाने के लिए जैसे यत्न होते है करते है। कुछ इसी तरह शहर का एक अन्य दैनिक जागारण का फ्रंट पेज का विज्ञापन है कि दैनिक जागरण के पाठक बनने के लिए एवं प्रति प्राप्त न होने पर इस नंबर पर सम्पर्क करें _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _।


वाह भाई वाह क्या पूछ परख हो रही है उसी 'मास ' की जिसे विकेन्द्रित और बिखरा मन लिया जाता है और मेसेज बनने वाले बोले तो सोर्स उसे 'पाठकानुरूप ' होने का दावा करते है। यहाँ हाल बिल्कुल वैसा ही होता है जैसा चुनाव के टाइम पर मतदाता का होता है मतदाता को भी तभी अपनी शक्ति का अहसास तभी होता है। वहां उसे जैसे मनाने के जतन होते है वैसे ही जतन किसी भी मीडिया की लांचिंग या प्रतियोगिता में होता है। हालांकि चुनावों में भी सारे नतीजे सही नहीं आते है, यहाँ भी ज्यादा कुछ होने की उम्मीद नहीं की जा सकती है।


फ़िर भी उम्मीद है की कोई अखबार अगर इससे भी तेज़ हुआ तो प्रिंटिंग के आधे घंटे में आपको थर्टी मिनिट में पेपर दे सकता है ।


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